Thursday, June 11, 2015

क्या अगला निशाना पाकिस्तान के आतंकी कैंप? म्यांमार के बाद पाकिस्तान में आतंकी शिविरों को निशाना बनाने के बारे में बहस चल रही है। पाकिस्तान के आर्मी चीफ या वहां के मंत्री भले ही यह कह रहो कि भारत उन्हें म्यांमार समझने की भूल न करे मगर हकीकत कुछ और है। भारत ही नहीं ईरान भी पाकिस्तान के आतंकियों का निशाना रहा है। उसके रिव्ल्यूशनर गार्ड भी पाकिस्तान के अंदर घुसकर आतंकियों को निशाना बनाते रहे हैं। ऐसे में भारत को पाक की बंदर घुड़की से न डरकर बेबाक निर्णय लेना चाहिए। जानिए क्या करते हैं ईरानी सुरक्षाबल- http://www.dawn.com/news/1138622

Thursday, June 4, 2015

अच्छे दिनों का पोस्टमार्टम
मैं भी उन आम लोगों में शामिल था जो कांग्रेस की नीतियों से तंग होकर और भाजपा के प्रधानमंत्री पद के प्रत्याशी नरेंद्र मोदी के नारों से आकर्षित होकर अच्छे दिन की तलाश में लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा को वोट देकर आया। एक साल बाद अगर उस फैसले की समीक्षा करता हूं तो आत्मग्लानी होती है। मोदी के समर्थक कह रहे हैं कि क्या कमी है, मैंने एक पत्रकार के रूप में जो कमियां महसूस की उन्हें एक-एक कर आपके समक्ष प्रस्तुत करने की कोशिश करूंगा। शायद पिछले साल में हमने इतना खो दिया है कि कांग्रेस के दस साल के शासन में भी इतना नहीं खोया था। शुरुआत करेंगे नरेंद्र मोदी जी के प्रिय विषय विदेश नीति से। क्या यहां अच्छे दिन की शुरूआत हुई। शायद नहीं। इतने विदेशी दौरों का फलसफा बताने को कुछ घटनाएं ही काफी हैं। मोदी जी ने जिन अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा को 26 जनवरी के गणतंत्र दिवस समारोह में बतौर मुख्य अतिथि बुलाया था और जिनके साथ संयुक्त प्रेस कांफ्रेंस में कहा था कि मेरी और ओबामा की कैमिस्ट्री कुछ अलग है.....जानिए उन ओबामा ने क्या किया। भारत से लौटते ही उन्होंने पाकिस्तान को दी जाने वाली सैन्य सहायता छह गुना बढ़ा दी। अब यह 42 से 265 मिलियन डॉलर हो गई है। जानिए इस बारे में विस्तार से- http://timesofindia.indiatimes.com/world/us/Obama-proposes-over-1-billion-civil-military-aid-to-Pakistan/articleshow/46110457.cms क्या इसी कैमिस्ट्री के बारे में मोदी जी बता रहे हैं। प्रिय मोदी जी, अमेरिका कभी नहीं चाहेगा कि भारत तरक्की करे। इसी उद्देश्य से वो 65 सालों से पाकिस्तान को पालता पोसता आ रहा है। उसके सैंपल के रूप में सैन्य सहायता देता है और भारत की मजबूरी हो जाती है उससे उन्नत हथियार मुंह मांगे दामों में खरीदने की। कौन सा देश चाहेगा कि उसका एक अच्छा ग्राहक खो जाए। कांग्रेस के अमेरिका का पिछलग्गू बनने की कड़ी को आपने उसी प्रकार जारी रखा। यह बुरे दिनों की निशानी है। अब जानिए दूसरी अहम हार जो भारत ने मोदी जी के आने के बाद मिली। रूस जो पिछले 65 सालों से भारत के साथ सदैव खड़ा रहा पिछले दिनों संकट में था। अमेरिका और यूरोप ने उस पर आर्थिक प्रतिबंध लगा रखे थे। ऐसे में रूसी राष्ट्रपति ब्लादीमीर पुतीन चाहते थे कि भारत उसके कुछ रक्षा उपकरण और तेल खरीद ले। इसी सिलसिले में वह भारत भी आए। हमेशा की तरह हमने अमेरिका के दबाव के आगे झुककर रूस को कोई मदद नहीं दी। दोस्तों शायद ही भारत के इतिहास में कभी ऐसा रहा होगा जब हमने अपने जिगरी दोस्त की मदद नहीं की हो। मोदी जी ने ऐसा किया। परिणाम-रूस जो कभी पाकिस्तान को हथियार नहीं बेचता था और उसके साथ सैन्य अभ्यास नहीं करता था, अब दोनों प्रक्रियाएं शुरू कर रहा है। जानिए इस बारे में विस्तार से- http://www.tribuneindia.com/news/world/pakistan-russia-to-hold-first-ever-joint-military-exercises/68401.html एक भरोसेमंद साथी को खोना सबसे बड़ी हार होती है जो मोदी जी के कार्यकाल में भारत को मिली है। अब जानिए चीन के बारे में। जिस चाइनीज राष्ट्रपति को मोदी जी ने अहमदाबाद में झूला झुलाया और खुद चीन में जाकर उनके प्रधानमंत्री के साथ सेल्फी खीची उसने उनके मुंह पर जोरदार तमाचा मार दिया। चीन ने साफ कहा है कि दक्षिणी चीन सागर में चीन की अनुमति के बिना भारत कोई भी फैसला न ले। इसके साथ ही अरूणाचल प्रदेश को अपना हिस्सा बताकर किसी भी देश को वहां निवेश न करने की हिदायत दी है। जबकि भारत जिस पीओके को अपना हिस्सा बताता है वहां उसने बड़ी संख्या में निवेश शुरू कर दिया है। प्रिय मोदी जी, देश ने इससे बड़ी हारें एक साल में कभी नहीं देखी। दोस्तों मोदी जी के आने के बाद पाकिस्तान के साथ आज अमेरिका, रूस और चीन खड़े हैं जबकि भारत के साथ कोई नहीं। यही हकीकत है। मोदी जी मुझे शर्मींदगी है कि मैंने आपको वोट दिया। जल्द ही फिर कुछ और तथ्यों और अलफाजों के साथ यहां पर मुलाकात होगी। -शिव शंकर शर्मा